Why does God not answer our prayers? (PK answered 5)
Answer Podcast:
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Transcription :
Transcribed by: Suresh Gupta
Edited by: Raji Nachiappan
Question: Why does God not answer our prayers?
Answer: Prayers always work. God always answers our prayers, but we do not understand his answers because those do not always come in terms that we expect. If we truly understand God, then we should understand both his omnipotence and his omniscience. He is both supremely strong and supremely wise. We often go to God when we have a problem we cannot solve. We pray to him, that since you are much stronger, please utilize your strength to solve our problem. However, this is trusting only half of God. We are trusting only his strength, but not his intelligence. We are trusting only his omnipotence but not his omniscience. God knows what is best for us and because he knows, he will do what is best for us.
Sometimes, only by facing the problems, we will grow. If we are prematurely relieved of the problem, the opportunity for growth will be missed. Nature also tells that growth happens through struggle. Once a city-dweller was going through the forest and saw a bird’s egg that had fallen. Inside the egg was a birdlet who was struggling to come out. The wings were coming out partially through the cracked shell while the birdlet kept pushing and pushing. The tiny creature was applying all the force it could but was not able to crack the shell. The birdlet was in distress. The city-dweller out of compassion cracked open the shell and let the birdlet come out. When the birdlet started moving, suddenly a cat appeared and charged towards him. The birdlet tried to fly, but since its wings were not fully developed, it could not. It was then caught and devoured by the cat. The city-dweller realised that he had actually done a disservice to the birdlet. Nature had arranged in such a way that by struggling to push against the shell of the egg, the birdlet’s strength would grow. When the birdlet’s strength grows adequately enough to break the shell on its own, birdlet’s wings will also grow. Those developed wings will strengthen him to fly. Hence by pre-mature breaking of the shell, the birdlet was not helped, rather he was harmed.
We should not, therefore, think that God’s purpose is only to solve our problems. God’s purpose is primarily to help us grow. Problems are sometimes like the shell that are covering us. God allows us to go through those problems and that is why sometimes our problems may not be solved. It may appear to us that our prayers are not answered. However, if we pray to God, not with a demanding mood, but by saying that since he knows what is best for us, please guide us. By approaching him with such attitude, we will find ourselves internally strengthened. By such prayers, we will get the strength to face the problem.
Rather than telling God how big our problem is, we have to tell our problem how big God is. When we have this attitude, we will go to God not so much for solutions, but for guidance and strength. We trust not only God’s strength, but also his wisdom to do what is best for us. That he not only provides us the strength to face the problem but also the intelligence to find the right way to go through the problem. Then whatever problem we face, we will be able to go through and grow through the problem by his grace.
End of transcription.
Transcription in Hindi
प्रश्न: भगवान हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर क्यों नहीं देते?
उत्तर: प्रार्थनाऐं सदैव भगवान तक पहुँचती हैं और वे सदैव हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर भी देते हैं। किन्तु उनके उत्तरों को हम इसलिए नहीं समझ पाते क्योंकि वे प्रायः हमारी आशा के अनुरूप नहीं होते। वास्तव में यदि हम भगवान को भली-भाँति समझते हैं तो हमें यह समझ होनी चाहिए कि वे सर्वशक्तिमान भी हैं और सर्वज्ञ भी। वे परम शक्तिमान और परम बुद्धिमान दोनों है। प्रायः हम भगवान के पास तब जाते हैं जब हमारे पास कोई ऐसी समस्या होती है जिसको हम हल नहीं कर सकते। हम उनसे प्रार्थना करते हैं, कि चूँकि आप हमसे अधिक शक्तिशाली हैं, तो कृपया अपनी शक्ति का प्रयोग करके हमारी समस्या को हल करें। किन्तु यह तो भगवान पर मात्र आधा ही विश्वास करना हुआ। हम केवल उनकी शक्ति पर विश्वास कर रहे हैं, किन्तु उनकी बुद्धि पर नहीं। हम केवल उनके सर्वशक्तिमान होने पर भरोसा कर रहे हैं लेकिन उनके सर्वज्ञ होने पर नहीं। भगवान भलीभाँति जानते हैं कि हमारा भला किसमें है अतः वे वही करते हैं जिसमें हमारा हित हो।
कभी-कभी समस्याओं का सामना करने से ही हमारा विकास होता है। यदि हम समय से पहले ही समस्या से मुक्त हो जाऐं, तो भीतरी विकास का अवसर चला जाता है। प्रकृति भी यही शिक्षा देती है कि संघर्ष करने से ही विकास होता है। एक बार एक नगरवासी जंगल से गुजर रहा था। उसने देखा कि एक पक्षी का अण्डा गिरा हुआ है। अण्डे के भीतर एक चिड़िया का बच्चा था, जो अण्डे के बाहर आने के लिए संघर्ष कर रहा था। अण्डे के टूटे हुए खोल से उस बच्चे के पंख आंशिक रूप से बाहर आ रहे थे। वह बच्चा निरंतर अपने खोल को तोड़ने का प्रयास कर रहा था। वह नन्हा जीव पूरी शक्ति लगा रहा था, किन्तु आवरण को तोड़ नहीं पा रहा था। बच्चा बड़ा व्याकुल था। उस नगरवासी ने करुणावश अण्डे का खोल तोड़ दिया और उस बच्चे को बाहर आने दिया। जब बच्चा हिलने-डुलने लगा तब अचानक एक बिल्ली आई और उस बच्चे पर झपटी। बच्चे ने उड़ने का प्रयास किया, पर चूँकि उसके पंख पूरी तरह से विकसित नहीं हुए थे, इसलिए वह उड़ नहीं सका और बिल्ली ने उसे खा लिया। नगरवासी को एहसास हुआ कि वास्तव में उसने बच्चे का अहित किया है। प्रकृति की व्यवस्था के अनुसार यदि बच्चा अण्डे के खोल को धक्का देने के लिए संघर्ष करता तो इससे उसकी शक्ति में वृद्धि होती। जब उस बच्चे की शक्ति इतनी हो जाती कि वह स्वयं अपने बल पर खोल को तोड़ने में सक्षम हो जाता, तो उसके पंख भी शक्तिशाली हो जाते। उन विकसित पंखों से वह उड़ पाता। अतः खोल को समय से पहले तोड़ने से उस चिड़िया के बच्चे को सहायता नहीं मिली, बल्कि उसका नुकसान हुआ।
अतः हमें यह नहीं सोचना चाहिए कि भगवान का उद्देश्य केवल हमारी समस्याओं का समाधान करना है। भगवान का मुख्य उद्देश्य हमारे विकास में हमारी सहायता करना है। समस्याऐं कभी-कभी उस आवरण की तरह होती हैं जो हमें ढक देती हैं। भगवान हमें उन समस्याओं से जूझने देते हैं, अतः कभी-कभी हमारी समस्याओं का समाधान नहीं हो पाता। तब हमें ऐसा प्रतीत हो सकता है कि हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर नहीं दिया जा रहा है। यदि हम भगवान से इच्छापूर्ति के लिए नहीं, बल्कि यह प्रार्थना करें कि आप जानते हैं कि मेरे लिए सर्वश्रेष्ठ क्या है, कृपया मेरा मार्गदर्शन करें। इस मनोवृत्ति के साथ उनके पास जाने से हम आंतरिक रूप से सशक्त होंगे। ऐसी प्रार्थनाओं से हमें समस्या का सामना करने की शक्ति मिलेगी।
भगवान को यह बताने की बजाय कि हमारी समस्या कितनी बड़ी है, हमें अपनी समस्यायों को यह बताना चाहिए कि भगवान कितने बड़े हैं। जब हमारे पास ऐसा दृष्टिकोण होगा, तो हम समाधान के लिए नहीं, बल्कि मार्गदर्शन और आत्मबल के लिए भगवान के पास जाऐंगे। हम न केवल भगवान की शक्ति पर विश्वास करें अपितु उनकी बुद्धि पर भी विश्वास रखें। वे हमें न केवल समस्या का सामना करने की शक्ति प्रदान करें अपितु समस्या से जूझने का सही मार्ग खोजने की बुद्धि भी प्रदान करें। इस प्रकार हम जिस भी समस्या का सामना करेंगे, हम भगवान की कृपा से न केवल समस्या से जूझ पाऐंगे बल्कि उस समस्या के माध्यम से अपना
End of transcription.